Payal vaya

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एक दिन

रूठुगा मैं  तुमसे एक दिन इस बात पर,

जब रूठा था मै तो मनाया क्यू नहीं ,
कहते थे तुम तो करते हो मुझसे प्यार ,
जो दिखाया मैंने नखरा तो उठाया क्यू नहीं ।
मुंह फेर कर जब खड़ा था मैं वहां ,
बुलाकर पास सीने से लगाया क्यू नहीं ,
पकड कर तेरे हाथ पूछूंगा मैं तुमसे ,
हक अपना मुझ पर जताया क्यू नहीं ।
इस धागे का एक सिरा तुम्हारे पास भी तो था,
उलझा था अगर मुझसे  तो तुमने सुलझाया क्यू नहीं ,
कभी तो मेरे पास आकर मुझे अपनी बात सुनाते तो ,
नहीं सुनता मै तो झगड़ते मगर ,
मुझसे जताया क्यू नहीं ।

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